Ten divine thoughts from Bhagwan Ram

jaiShreeram
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  1. "धर्मो रक्षति रक्षितः" - धर्म की रक्षा करने वाले की रक्षा धर्म स्वयं करता है।

  2. "मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः" - किसी जीव को हानि मत पहुँचाओ।

  3. "सर्वभूत हिते रतः" - जो सभी प्राणियों के कल्याण में संलग्न होता है।

  4. "कैकेयी ना तनु त्यजन" - अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का त्याग मत करो।

  5. "मा क्रोधः भवति" - क्रोध को अपने ऊपर हावी मत होने दो।

  6. "सत्य धर्माय समश्रये" - सत्य का पालन करो और धर्म के मार्ग पर चलो।

  7. "परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्" - अच्छे की रक्षा और बुराई का नाश करना।

  8. "न क्रोधः न च मत्सर्यं न लोभो न अशुभा मतिः" - न क्रोध, न ईर्ष्या, न लोभ, न बुरे विचार।

  9. "त्यज दुर्जन संगमं" - बुरे लोगों की संगति से बचो।

  10. "श्रेयश्च प्रेयश्च मनुष्येतम्" - सुख के मार्ग की अपेक्षा धर्म के मार्ग को चुनो।

Ten divine thoughts from Bhagwan Ram