Ten divine thoughts from Bhagwan Ram
Inspireduniya


"धर्मो रक्षति रक्षितः" - धर्म की रक्षा करने वाले की रक्षा धर्म स्वयं करता है।
"मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः" - किसी जीव को हानि मत पहुँचाओ।
"सर्वभूत हिते रतः" - जो सभी प्राणियों के कल्याण में संलग्न होता है।
"कैकेयी ना तनु त्यजन" - अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का त्याग मत करो।
"मा क्रोधः भवति" - क्रोध को अपने ऊपर हावी मत होने दो।
"सत्य धर्माय समश्रये" - सत्य का पालन करो और धर्म के मार्ग पर चलो।
"परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्" - अच्छे की रक्षा और बुराई का नाश करना।
"न क्रोधः न च मत्सर्यं न लोभो न अशुभा मतिः" - न क्रोध, न ईर्ष्या, न लोभ, न बुरे विचार।
"त्यज दुर्जन संगमं" - बुरे लोगों की संगति से बचो।
"श्रेयश्च प्रेयश्च मनुष्येतम्" - सुख के मार्ग की अपेक्षा धर्म के मार्ग को चुनो।